धर्मराज युधिष्टिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव तथा भगवान श्रीकृष्ण आज पुनः कुरुक्षेत्र में खडे है. विपक्ष में कौरवों की तरफ से ऋषि गुरू द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की जिसे बालक अभिमन्यु भेदना चाहता है. इस चक्रव्यूह के द्वारों पर हैं - महाबली जयद्रथ, छली-कपटी मामा शकुनी, अश्वत्थामा तथा कई अन्य महारथी. गांडीव की टंकार, पॉञ्चजन्य का घोष, खड्गों की झंकार एवं महारथियों की हुंकार के साथ लडाई प्रारंभ हो गई. ऐसे में ज्ञानी विदुर एक ऊंचे टीले पर खडे थे, उनकी आंखे ओजपूर्ण कर्ण को ढूंढ रही थी, उनके मन में कई विचार उठ रहे थे जो उन्हे झकझोर रहे थे.